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वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट, जानें क्या होगा भारत में इसका असर

वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट, जानें क्या होगा भारत में इसका असर

वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट - मांग बढ़ने से यूरिया की कीमतें 45 फीसदी तक घटीं

नई दिल्ली। उर्वरकों को लेकर रिकॉर्ड बनाती कीमतों के बीच सब्सिडी बजट मोर्चे पर सरकार को कुछ राहत मिलती दिख रही है। वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमतों में भारी गिरावट हुई है। 

बढ़ती मांग के चलते यूरिया की कीमतें 45 फीसदी तक घट गईं हैं। वैश्विक बाजार में यूरिया की कीमत 1000 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। जो गिरकर अब 550 डॉलर प्रति टन तक आ गईं हैं। 

भारत ने 980 डॉलर प्रति टन की कीमत तक यूरिया खरीदा था। देश में करीब 350 लाख टन यूरिया की खपत होती है। उम्मीद जताई जा रही है कि जुलाई के पहले सप्ताह में भारत यूरिया आयात का टेंडर जारी करेगा। 

संभावना है कि भारत को 540 डॉलर प्रति टन की कीमत में आयात सौदा मिल जाएगा। इससे किसानों को यूरिया की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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भारत में कितनी होंगी कीमतें

मिली जानकारी के अनुसार 540 डॉलर प्रति टन की कीमत पर होने वाले सौदे पर पांच फीसदी का आयात शुल्क लगेगा। और 1500 रुपये प्रति टन का हैंडलिंग व बैगिंग खर्च जोड़ा जायेगा। 

इसके बाद यह करीब 42 हजार रुपये प्रति टन हो जाएगा। एक समय यूरिया की कीमत करीब 75 हजार रुपए प्रति टन तक पहुंच गई थी।

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 कीमतों में आई गिरावट के चलते सरकार को सब्सिडी के मोर्चे पर उच्चतम स्तर पर कीमत के मुकाबले करीब 30 हजार रुपए प्रति टन की बचत होगी। ------ लोकेन्द्र नरवार

कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें

कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान आज भी बहुत बड़ा है और भारत की ग्रामीण जनसंख्या का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा, मुख्यतया कृषि पर ही निर्भर है। 2021 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि और उससे जुड़े हुए सेक्टर, भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी की जीडीपी (GDP - Gross Domestic Product) में 18% योगदान देते है। आजादी के समय यह अनुपात 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत के बीच में था। विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधानों और नई तकनीकों की मदद तथा भारत सरकार के सकारात्मक अप्रोच और कृषि क्षेत्र में युवा किसानों की बढ़ती भागीदारी की वजह से, आने वाले समय में यह सेक्टर अच्छी उत्पादकता की ओर अग्रसर होता नजर आ रहा है। इसी उत्पादकता को सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार और कुछ राज्य सरकारें किसानों को सब्सिडी के रूप में कुछ सहायता प्रदान करती है

क्या है कृषि सब्सिडी (Agricultural Subsidy) ?

किसी भी निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता सब्सिडी के अंतर्गत आती है।यह वित्तीय सहायता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों तक पहुंचाई जाती है। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के किसानों के द्वारा प्रति हेक्टेयर जमीन से प्राप्त होने वाली आय में 21 प्रतिशत योगदान सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का होता है।

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कौन देता है भारत में कृषि सब्सिडी ?

भारतीय किसानों को स्थानीय राज्य सरकारों के अलावा मुख्यतः भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के द्वारा सब्सिडी प्रदान की जाती है, लेकिन अप्रत्यक्ष सब्सिडी के तौर पर केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय तथा कॉमर्स मंत्रालय के द्वारा भी सहायता दी जाती है। भारत में दी जाने वाली सब्सिडी पूर्णतया सरकार के द्वारा ही तय होती है, यदि बात करें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दी जाने वाली सब्सिडी की तो इन्हें मुख्यतः विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) के द्वारा नियंत्रित किया जाता है और अलग-अलग देशों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर सब्सिडी देने में छूट प्रदान की गई है। वर्तमान में भारत विश्व व्यापार संगठन में एक विकासशील देश की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है, इसी वजह से भारत को विकसित देशों की तुलना में अधिक सब्सिडी देने के लिए छूट दी गई है।

भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली अलग-अलग प्रकार की सब्सिडी :

हरित क्रांति के समय से ही भारत सरकार के द्वारा किसानों को आर्थिक सहयोग के तौर पर सब्सिडी दी जा रही है और इस क्रांति के दौरान बुवाई किए गए उच्च उत्पादकता वाले बीजों के बेहतर उत्पादन के लिए पानी और उर्वरकों के रूप में भारतीय किसानों को सब्सिडी देने की शुरुआत की गई थी। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी को निम्न प्रकार से विभाजितकिया जा सकता है :-

  • उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) :

भारतीय कृषि को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लायक बनाने के लिए किसानों को सस्ती दर पर रासायनिक उर्वरकों को उपलब्ध करवाने के लिए सरकार के द्वारा फर्टिलाइजर सब्सिडी की शुरुआत की गई थी। यह सब्सिडी मुख्यत: उर्वरक उत्पादक कंपनियों को प्रदान की जाती है, जो कि किसानों को सस्ते दामों पर यूरिया और डीएपी उपलब्ध करवाती है। इस सब्सिडी की मदद से कृषि में कच्चे माल के रूप में होने वाले खर्चे कम हो जाते है और पूरे भारत में उर्वरकों की एक समान कीमत बनी रहती है।

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सरकार के द्वारा किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी में फर्टिलाइजर सब्सिडी का योगदान सर्वाधिक है। वर्तमान में भारत सरकार कुछ सूक्ष्म उर्वरक जैसे कि नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के अलावा जिंक तथा आयरन जैसे रासायनिक उर्वरकों पर भी फर्टिलाइजर सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है।

  • सीधे हस्तांतरण के तहत दी जाने वाली सब्सिडी (Direct Benefit transfer subsidy) :

 2019 में शुरू की गई है प्रत्यक्ष स्थानांतरण सब्सिडी वर्तमान में भारत के सभी किसानों को सीधे नकद राशि उपलब्ध करवाकर प्रदान की जाती है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM-KISAN) के तहत हर किसान भाई को 6000 रुपए सालाना उपलब्ध करवाए जाते है। केंद्र सरकार के द्वारा प्रायोजित इस स्कीम में शुरुआत में लघु और सीमांत किसानों को ही शामिल किया गया था। खेती की सामान्य जरूरतमंद आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए शुरू की गई यह स्कीम भारत की किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में उपलब्ध हुई है।

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  • बिजली पर दी जाने वाली सब्सिडी ( Power Subsidy) :

आधुनिक कृषि के दौर में मशीनीकरण की वजह से इस्तेमाल होने वाले पावर पंप और दूसरी इलेक्ट्रिक मशीनों के लिए सरकार के द्वारा किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करवाई जाती है।

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 मुख्यतः बिजली का इस्तेमाल सिंचाई की प्रक्रिया के दौरान होता है। यह सब्सिडी बिजली उत्पादक डिस्कोम कंपनियों को दी जाती है, जोकि बिजली की सामान्य रेट की तुलना में किसानों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करवाती है। स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड और भारत की कई बड़ी सरकारी कंपनी के द्वारा किसानों को इस तरह की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है।

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कृषि अनुसंधान कार्यों में तेजी लाने के लिए सरकार के द्वारा कृषि वैज्ञानिकों को प्रत्यक्ष सहायता प्रदान करने के अलावा, किसान भाइयों के लिए उच्च उत्पादकता प्रदान करने वाले बीजों (High yielding seed) की व्यवस्था भी सरकार के द्वारा सीड सब्सिडी के तहत ही की जाती है। इन बीजों को बहुत ही कम दर पर उपलब्ध करवाने पर किसान भाई आसानी से अपने खेत में होने वाले लागत को कम कर पाते है। एक अप्रत्यक्ष सब्सिडी के तौर पर सरकार के द्वारा बीज उत्पादन करने वाली कंपनियों को प्रदान की जाने वाली यह सब्सिडी कम्पनियों  की बीज विनिर्माण लागत को कम करती है और स्वतः ही बाजार में सस्ते बीज उपलब्ध हो पाते हैं।

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  • निर्यात पर दी जाने वाली सब्सिडी (Export Subsidy) :

भारत शुरुआत से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है और इसी वजह से भारत में तैयार कृषि को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में शुरुआत से ही एक अलग पहचान मिली हुई है, परंतु पिछले कुछ समय से कई देशों में कृषि क्षेत्र में बढ़ते अनुसंधान कार्यों और नई खोजों के बाद भी भारतीय कृषि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए सरकार के द्वारा निर्यात पर सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी किसी किसान या फिर कृषि उत्पादों से जुड़ी निर्यात कंपनी को दी जाती है। इस सब्सिडी का फायदा यह होता है कि इससे भारत में विदेशी धन आने के अलावा स्थानीय स्तर पर किसानों के द्वारा मुनाफा कमाया जा सकता है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात में दी जाने वाली सब्सिडी को विश्व व्यापार संघ के द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के तहत ही दिया जा सकता है।

  • लोन पर दी जाने वाली सब्सिडी (Credit Subsidy ) :

यह बात तो हम जानते ही है कि भारतीय कृषि क्षेत्र में लघु और सीमांत किसान बहुत ही अधिक संख्या में है। ऐसे किसानों के पास बुवाई और खेती की शुरुआत करने के लिए छोटे क्षेत्र की जमीन तो होती है, परंतु शुरुआत में आने वाली लागत के लिए आर्थिक व्यवस्था नहीं होती है, इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार के द्वारा किसान भाइयों को ऋण पर सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिसे क्रेडिट सब्सिडी भी कहा जाता है।

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बैंक के द्वारा एक सामान्य ग्राहक के तौर पर लगायी जाने वाली ब्याज दर पर सरकार के द्वारा कुछ प्रतिशत ब्याज दर स्वयं के द्वारा जमा करवायी जाती है, इसे इंटरेस्ट सब्वेंशन (Interest subvention)  के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत किसान भाइयों को ब्याज ऋण अदायगी में सरकार के द्वारा अच्छी सब्सिडी उपलब्ध करवाई गई है। इस प्रकार की ऋण व्यवस्था में किसान भाइयों को किसी भी प्रकार की संपार्श्विक (collateral) जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होती है और बड़ी ही आसानी से ग्रामीण क्षेत्रों के किसान भी कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों तथा बीज और दूसरे कच्चे माल के लिए कम ब्याज दर पर ऋण प्राप्त कर सकते है।

  • कृषि उपकरणों पर दी जाने वाली सब्सिडी (Agriculture Equipment Subsidy) :

भारत सरकार के द्वारा अलग-अलग स्कीम के तहत किसान भाइयों को कृषि में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की खरीद के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। यह सब्सिडी मुख्यतः उपकरण की खरीद के बाद किसान भाइयों को उनके बैंक खाते में सीधे हस्तांतरण के माध्यम से उपलब्ध करवाई जाती है।

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 अलग-अलग राज्य सरकारें अपना योगदान मिलाकर भारत सरकार के द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी में सहयोग प्रदान कर सकती है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में विनिर्माण (Infrastructure) से जुड़े कार्यों को पूर्ण करने के लिए भारत सरकार के द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर सब्सिडी भी उपलब्ध करवाई जाती है। इस तरह की सब्सिडी की मदद से किसान भाइयों को तैयार कृषि उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह पर स्थानांतरित करने के लिए इस्तेमाल में होने वाले वाहन तथा कोल्ड स्टोरेज हाउस बनाने के लिए राशि उपलब्ध करवाई जाती है। 

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कैसे प्राप्त करें कृषि सब्सिडी और आवश्यक योग्यताएं ?

यदि किसी सब्सिडी के लिए लघु, सीमांत और बड़े किसानों के लिए आवश्यक योग्यताएं अलग-अलग है तो इसके लिए आपको अलग से कृषि मंत्रालय या फिर दूसरे मंत्रालय (जो कि सब्सिडी को उपलब्ध करवा रहा है) कि वेबसाइट पर जाकर अपना निशुल्क पंजीकरण करवाना होगा। यदि बात करें इन सब्सिडी में अलग-अलग योग्यताओं की तो कई प्रकार की सब्सिडी केवल लघु और सीमांत किसानों के लिए ही उपलब्ध है, ऐसी सब्सिडी प्राप्त के लिए स्थानीय प्रशासन के द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के साथ किसान सेवा केंद्र में जाकर पंजीकरण करवाना होगा।आय और दूसरे कई आधारों पर दी जाने वाली सब्सिडी के तहत भी अलग से रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता होगी। मुख्यतः खाते में सीधे हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer) के तहत मिलने वाली सब्सिडी के दौरान ही इस तरह के पंजीकरण की आवश्यकता होती है, अप्रत्यक्ष रूप से मिलने वाली सब्सिडी सभी किसान भाइयों के लिए उपलब्ध होती है।

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कृषि सब्सिडी की मदद से किसान भाइयों को होने वाले फायदे :

वर्तमान समय की प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में भारतीय कृषि को संपन्न बनाने के पीछे कृषि क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, इन्हीं सब्सिडी की मदद से भारतीय किसान स्वयं की जरूरतें तो पूरी करता ही है, साथ ही तैयार कृषि उत्पादों को आसानी से बेचकर मुनाफा भी कमा सकता है। इन कृषि सब्सिडी की मदद से खेती की शुरुआत में आने वाली प्रारंभिक लागत में काफी कमी हो जाती है। वित्त आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि भारतीय किसान को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सब्सिडी उपलब्ध ना करवाई जाए तो उनके खेत से प्राप्त होने वाला मुनाफा 50 प्रतिशत तक कम हो सकता है। किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम की मदद से उपलब्ध करवाए जाने वाले सस्ते लोन किसानों की खेती में इस्तेमाल होने वाली आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के अलावा एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में भी सहायक साबित हुए है।

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आशा करते है कि हमारे किसान भाइयों को Merikheti.com के माध्यम से भारत सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा कृषि से जुड़ी हुई सब्सिडी के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी, साथ ही इन सब्सिडी के लिए योग्यता तथा इनके लिए पंजीकरण कराने की प्रक्रिया का भी पता चल गया होगा। यही उम्मीद है कि भविष्य में आप भी सरकार के द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सब्सिडी का इस्तेमाल कर अपने खेत की उत्पादकता को बढ़ाने के साथ ही मुनाफे में भी बढ़ोतरी कर पाएंगे।

केंद्र द्वारा किसान भाइयों को दिया जायेगा 50 फीसद कम मूल्य पर DAP

केंद्र द्वारा किसान भाइयों को दिया जायेगा 50 फीसद कम मूल्य पर DAP

कृषि में उपयोग होने वाला डीएपी (DAP) अब आधे मूल्य में उपलब्ध किए जाने से किसानों का खर्च अतिशीघ्र कम हो जाएगा। केंद्र सरकार इस दिशा में दीर्घ काल से कार्य कर रही थी एवं फिलहाल उसने इफ्को से विकसित किया गया नैनो डीएपी (Nano DAP) जारी कर दिया है। जैसा कि हम सब जानते हैं, अच्छी पैदावार लेने के लिए किसानों को कृषि कार्यों में डीएपी (DAP) उर्वरक पर काफी मोटा धन खर्च करना पड़ता है। हालाँकि, भारत सरकार इस पर अच्छा खासा अनुदान प्रदान करती है। फिलहाल, मोदी सरकार दीर्घ काल से उस तरह की खाद तैयार करने पर जोर दे रही है। जो कि कृषकों एवं सरकार दोनों के खर्च को कम कर दिया है। फिलहाल, कृषि मंत्रालय द्वारा नैनो डीएपी को जारी कर दिया है। इसका भाव डीएपी (DAP) बोरी के वर्तमान भाव के तुलनात्मक आधे से भी कम है। लिक्विड नैनो डीएपी (Nano DAP) को सहकारी क्षेत्र की खाद कंपनी इफ्को (IFFCO) द्वारा तैयार किया गया है। इफ्को के मैनेजिंग डायरेक्टर यू. एस. अवस्थी एवं केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस संबंध में ट्विटर पर जानकारी प्रदान की है। अवस्थी द्वारा जहां इसे मृदा एवं पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण पहल बताया गया है, वहीं मंत्री मनसुख मंडाविया द्वारा इसको आत्मनिर्भर भारत निर्माण हेतु एक बड़ी उपलब्धि माना गया है।

आधा लीटर बोतल कितने मूल्य पर उपलब्ध हो जाएगी

आपको बतादें कि इफ्को द्वारा तैयार इस नैनो डीएपी (Nano DAP) का मूल्य 600 रुपये होगा। इस मूल्य पर किसान भाइयों को 500 मिली मतलब आधा लीटर लिक्विड डीएपी मिलेगा। यह डीएपी की एक बोरी के समरूप कार्य करेगी। भारत में यूरिया के उपरांत डीएपी का उपयोग दूजी सर्वाधिक उपयोग होने वाला उर्वरक है। इसके पूर्व इफ्को द्वारा नैनो यूरिया (Nano Urea) भी तैयार किया है। बिना अनुदान के इस बोतल का भाव 240 रुपये है। डीएपी खाद की एक बोरी का भाव फिलहाल 1,350 से 1,400 रुपये है। इस प्रकार किसानों का डीएपी (DAP) पर होने वाला व्यय आधे से भी कम आएगा। भारत में वार्षिक डीएपी (DAP) का अनुमानित उपयोग 1 से 1.25 करोड़ टन है। वहीं घरेलू स्तर पर केवल 40 से 50 लाख टन डीएपी (DAP)  का ही उत्पादन किया जाता है। अतिरिक्त का आयात करना होता है।

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नैनो डीएपी द्वारा केंद्र सरकार के डीएपी अनुदान पर आने वाली लागत में भी काफी गिरावट आएगी। साथ ही, आयात में कमी आने से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के संरक्षण में भी काफी सहायता मिलेगी।

इन उर्वरकों के नेंनो वर्जन आने की तैयारी

इफ्को नैनो यूरिया (Nano Urea) एवं नैनो डीएपी (Nano DAP) के जारी करने के उपरांत फिलहाल नैनो पोटाश, नैनो जिंक एवं नैनो कॉपर उर्वरक पर भी कार्य कर रहा है। आपको बतादें कि भारत डीएपी के अतिरिक्त बड़े स्तर पर पोटाश का भी आयात करता है।
जाने क्या है नैनो डीएपी फर्टिलाइजर और किन फसलों पर किया जा रहा है ट्रायल?

जाने क्या है नैनो डीएपी फर्टिलाइजर और किन फसलों पर किया जा रहा है ट्रायल?

आजकल हर तरह की खेती में उत्पादन बढ़ाने के लिए केमिकल और अलग अलग तरह के उर्वरकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। कृषि से बेहतर उत्पादन हासिल करने के लिए उर्वरकों का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी प्रभावित हो रही है। इसी समस्या को कम करने के लिए लंबे समय से उपाय ढूंढे जा रहे हैं और इसके लिए नैनो तकनीक काफी बेहतरीन साबित हो रही है। इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोओपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) बहुत समय से लिक्विड फॉर्म में उर्वरक बनती रही है और अब उसी ने नैनो यूरिया लॉन्च किया था। जिसे किसानों ने खूब पंसद किया। पहले किसानों को भारी-भारी बोरी उर्वरकों की उठानी पड़ती थी। लेकिन अब ये काम बसह 500 मिली की बोतल का इस्तेमाल कर रहे हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये उर्वरक लिक्विड फॉर्म में है और इसका छिड़काव बेहद आसानी से पानी के साथ किया जा सकता है। पिछले कुछ सालों में नैनो यूरिया फर्टिलाइजर से कृषि की उत्पादकता बढ़ाने और पर्यावरण की सुरक्षा में काफी मदद मिली है।

 

नैनो डीएपी फर्टिलाइजर का ट्रायल (Trial of Nano DAP Fertilizer)

इस पहल में अब केंद्र सरकार भी हिस्सेदार हो गई है और सरकार की तरफ से नैनो डीएपी लॉन्च करने की घोषणा कर दी है। सरकार ने नैनो पोटाश, नैनो जिंक और नैनो कॉपर उर्वरकों पर भी काम करने की बात कही है। 5 फसलों चना, मटर, मसूर, गेहूं, सरसों पर नैनो डीएपी का ट्रायल कर रहे हैं।

 

क्या है नैनो डीएपी फर्टिलाइजर? (What is Nano DAP Fertilizer?)

नैनो यूरिया की तरह ही नैनो डीएपी 'डाय-अमोनियम फॉस्फेट (Diammonium Phosphate)' का लिक्विड वर्जन है। अब से पहले ये फ़र्टिलाइज़र सूखे फॉर्म में मिलता था और इसे पाउडर-गोलियों के तौर पर पीले रंग की बोरी में उपलब्ध करवाया जाता है। इस उर्वरक से मिट्टी प्रदूषण के आसार रहते हैं। 

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कई बार किसान फसल की आवश्यकता से अधिक डीएपी उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं। जिससे बाद में मिट्टी के उपजाऊपन पर नकारात्मक असर पड़ता है। यह एक फॉस्फेटिक यानी रसायनिक खाद है, जो पौधों में पोषण और उनके अंदर नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी को पूरा करती है। अगर इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की मात्रा की बात की जाए तो इस उर्वरक में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। इससे पौधों की जड़ों का विकास काफी अच्छी तरह से होता है। यह उर्वरक फसल की उत्पादकता को बढ़ाने में काफी बेहतरीन है और किसानों की परेशानी को कम करता है।